Breaking News

Chitfund News - क्या है चिट फंड और इसके काम का तरीका?

पश्चिम बंगाल में शारदा ग्रुप की ओर से डिपोजिटरों के साथ 1200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बाद चिट फंड एक बार फिर चर्चा में है। इससे पहले भी कई चिट फं ड कंपनियां डिपोजिटरों का पैसा डूबो चुकी हैं। शारदा पर आरोप है कि वह क्लेक्टिव इनवेस्ट स्कीम की आड़ में चिट फंड चला रही थी।
कलेक्टिव सेविंग स्कीम (सीआईएस) का नियमन पूंजी बाजार का नियामक सेबी करता है। दरअसल चिट फंड, मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम और पोंजी स्कीम अलग-अलग तरह की फाइनेंशियल स्कीमें हैं, जिनका परिचालन एक ही तरीके से होता है लेकिन इनमें डिपोजिटरों या निवेशकों का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
चिट फंड का प्रबंधन अनौपचारिक तरीके से मसलन परिवार, दोस्तों या परिचितों की ओर से समूह बना कर किया जाता है। इसके अलावा संगठित चिट फंड उद्योग भी है जो नियमन के तहत चलाया जाता है। हालांकि दोनों निवेश के लिहाज से सुरक्षित नहीं माने जाते।
क्या है अनौपचारिक चिट फंड?
साधारण शब्दों में कहें तो चिट फंड एक ऐसा अरेजमेंट है जिसके तहत कुछ लोग मिलकर एक निश्चित अंतराल में पैसों की पूलिंग करते हैं।
कलेक्शन की अवधि के दौरान कोई भी सदस्य कुछ तरीकों से मसलन लकी ड्रॉ, ऑक्शन या किसी और तरीके से एकमुश्त रकम उठा सकता है। इसमें सदस्यों की संख्या इस तरह रखी जाती है कि कलेक्शन की पूरी अवधि के दौरान हर सदस्य को एक बार रकम लेने का मौका जरूर मिल जाए।
उदाहरण के लिए अगर 20 लोग दो-दो हजार रुपय जमा करते हैं तो हर महीने 40000 रुपये जमा होते हैं। अब अगर तीन लोगों को एक ही महीने में पैसे चाहिए तो इसमें से जो कोई भी सबसे कम बोली लगाएगा उसे पैसा मिल जाएगा। अगर 40000 की रकम के लिए 30000 की बोली सबसे कम है तो यह रकम बोली लगाने वाले को दे दी जाएगी।
बाकी 10,000 रुपये सभी सदस्यों के बीच स्कीम की अवधि के अंत में बांट दिए जाएंगे। छोटे शहरों और कस्बों में इस तरह की स्कीम के लोकप्रिय होने की बड़ी वजह वहां बैंकों और दूसरे ऐसे वित्तीय संस्थाओं की तादाद कम होना है। बैंकिंग समावेश के अभाव की वजह से लोग न तो रकम डिपोजिट कर पाते हैं और कर्ज ले सकें।
क्या है संगठित चिट फंड?
ऐसी कई कंपनियां हैं जो यह काम संगठित तरीके से करती हैं। इनका नियमन केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधित कानूनों से होता है। चिट फंड कंपनियों पर निगरानी के लिए राज्यों के कानूनों के अलावा सेंट्रल चिट फंड एक्ट, 1982 भी है।
सभी राज्यों में रजिस्ट्रार ऑफ चिट फंड्स का दफ्तर होता है जो कड़े नियमों के तहत इनके परिचालन पर नजर रखता है। हालांकि सब्सक्राइवर की रकम का कहीं और इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। कई चिट फंड कंपनियों की ओर से निवेशकों का पैसा डूबोने के मामले सामने आए हैं।
लेकिन कुछ ऐसी चिट फंड कंपनिया हैं जो सही ढंग से काम करती हैं और स्थानीय स्तर पर लोगों की नकदी की जरूरत पूरी करती हैं। इसलिए चिट फंड कंपनियों की ओर किसी भी धोखाधड़ी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
क्या चिट फंड सुरक्षित है?
चिट फंड कंपनियां जब दूसरी योजनाओं में पैसा लगाने लगती हैं जिनमें रिटर्न की संभावना नहीं होती है तो निवेशकों और डिपोजिटरों का पैसा डूबने लगता है। गलत निवेश के फैसले डिपोजिटरों का पैसा डूबो देते हैं। इसलिए चिट फंड कंपनियों में पैसा डिपोजिट करते समय सावधान रहना चाहिए। source Naiduina.com jagran.com

No comments