
लंदन। अमेरिका एक समय जापान के हिरोशिमा की तरह परमाणु बम धमाके में तबाह होने की कगार पर पहुंच गया था। यह घटना वर्ष उन्नीस सौ इकसठ की है, जब एक बम वाहक विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण दो हाइड्रोजन बम अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना प्रांत में गिर गए थे। इनमें से एक बम में विस्फोट होते होते रह गया था। इस हाइड्रोजन बम की क्षमता हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 260 गुना अधिक थी। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये दस्तावेज एक खोजी पत्रकार एरिक स्कोलोसेर ने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए हाल
ही में हासिल किए थे। इन दस्तावेजों के मुताबिक, उत्तरी कैरोलिना के गाल्डसबोरो के एक मैदान के ऊपर बम वाहक विमान बी-52 बीच उड़ान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और दो मार्क 39 हाइड्रोजन बम गलती से गिर गए थे। इनमें से एक बम में धमाका होने ही वाला था, लेकिन एक निम्न बोल्टेज वाले स्विच ने विस्फोट वाले भाग में करंट सप्लाई नहीं किया, जिससे यह धमाका नहीं हो पाया।
अमेरिकी सरकार को इस दुर्घटना की जानकारी थी, लेकिन वर्ष 1969 के दस्तावेजों में इसकी पहली बार पुष्टि की गई थी कि 23 जनवरी, 1961 को अमेरिका हाइड्रोजन बम धमाके में तबाह होने की कगार पर पहुंच गया था। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका और रूस के बीच तनाव चरम पर था। अमेरिका सरकार इस बात से हमेशा इन्कार करती रही है कि बम वाहक विमानों की उड़ानों के दौरान परमाणु हथियार अमेरिकी नागरिकों की जान के लिए खतरा हो सकते हैं। सरकार के वैज्ञानिक पार्कर जोंस ने इस हादसे के आठ साल बाद अपनी किताब में इसका जिक्र किया है।
जोंस ने स्वीकार किया है कि मार्क 39 हाइड्रोजन बम से लैस बी 52 बमबर्षक विमान में सुरक्षा मानकों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया गया था। जोंस के मुताबिक वर्ष 1950 से 1968 की अवधि में अमेरिका में नाभिकीय हथियारों को लेकर 700 से अधिक हादसे हुए थे। Source- Jagran.com
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